जानिए हमारे बारे में 

देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 225 किलोमीटर दूरी पर राजस्थान के जिला चूरू की तहसील राजगढ़ है ! इसको सादुलपुर के नाम से भी जाना जाता है. चुकि बीकानेर के महाराजा श्री सादुल सिंह जी ने इसे  बसाया था ! इसलिए इसे सादुलपुर के नाम से भी जानते हैं !

यहां 18 वी शताब्दी  में स्वर्गीय श्री दुलीचंद जी का जन्म हुआ.  बचपन में ही इनके माता-पिता स्वर्गवास हो गया था ! बहुत ही कठिन परिस्थितियों में इनका बचपन बीता ! श्री दुलीचंद जी मोदी (पूज्य दादाश्री ) ने मिठाई का काम 8 वर्ष की आयु से ही सीखना आरंभ कर दिया था ! मिठाई का काम उन्होंने 13 वर्ष की आयु तक सीख लिया था श्री दुलीचंद ने 20 वर्ष की आयु में मिठाई की श्रंखला में एक नया नाम जोड़ दिया जिसे आज हम सिट्टे  के नाम से जानते हैं ! श्री दुलीचंद जी ने काजू कतली को नए तरीके से बनाया  जिससे काजू कतली का टेस्ट इतना अच्छा हो गया ! काजू कतली को बनाने में उन्होंने जिस विधि का प्रयोग किया उस कला से काजू का वास्तविक स्वाद कायम रहता है ! आज हम उसी फार्मूले से काजू कतली बनाते हैं इसी कारण हमारे यहां की बनी हुई काजू कतली हर व्यक्ति को पसंद आती है !

श्री दुलीचंद के पुत्र / श्री पूनमचंद मोदी ने 8 वर्ष की अल्पायु से ही मिठाई बनाने का काम शुरू कर दिया था पूनम चंद जी ने 15 साल की उम्र में उनकी संपूर्ण विध्या को ग्रहण कर लिया था आज श्री दुलीचंद जी मोदी व उनके पुत्र श्री पूनम चंद जी मोदी के द्वारा मिठाई का काम सिखाएं हजारों व्यक्तियों को रोजगार के काबिल बनाया ! राजगढ़ में मिठाई की देन इन्हीं की ही है ! 18 वीं शताब्दी से ही हमारे दादा श्री दुलीचंद जी के द्वारा सवामणी बनवाकर सेठ,साहूकार लोग खाटू श्याम जी,सालासर व अन्य तीर्थ स्थानों पर ले जाया करते थे !

सवामणी से पहले दिलकुशाल(बेसन की  चक्की ),लड्डू, बूंदी,स्पेशल पेड़ा, आटा चूरमा, सिट्टा, मोती पाक व अन्य सवामणी प्रसाद बनवाते थे ! तथा उनके द्वारा बनाए गए इन प्रसाद की बहुत प्रशंसा होती थी ! श्री दुलीचंद जी के पुत्र श्री पूनम चंद जी ने इस क्रम को आगे बढ़ाया और अब हम आपकी सेवा में हाजिर हैं!

आपको जानकर आश्चर्य होगा पहले जब विवाह शादी होते थे ! तो बारात लड़के वाले लेकर लड़की वालों के आते थे उस समय बारात 7 से  8 दिन रूकती थी ! हमारे पिताजी श्री पूनम चंद जी उस समय बारात के लिए अलग-अलग नाश्ता अलग अलग खाना बनाते थे !  यानी आगे 16 नाश्ते के आइटम 16 खाने के आइटम सभी अलग-अलग बनाते थे तथा थालियों में भाजी के आइटम सजाते थे !  भाजी 5 किलो से 11 किलो तक, बड़ी शादी में 21 किलो तक होती थी जो बारातियों को दी जाती थी आज हमने इसी भाजी को सुंदर सी पैकिंग के अंदर 1 किलो बॉक्स सवा किलो बॉक्स ,डेढ़ किलो बॉक्स , 2 किलो बॉक्स  पैक करके अपने ग्राहकों का दिल  जीतते  हैं!

हमारे यहां के बने हुए भाजी बॉक्स दिल्ली, जयपुर, हरियाणा, सूरत,मुंबई,अहमदाबाद,यूपी ,बैंगलोर ,हैदराबाद व अन्य स्थान पर जाते हैं ! तथा सभी लोगों से हमें प्यार व प्रशंसा मिलती है! भाजी के साथ-साथ आज हम 3 लाइन व4 लाइन बनने वाले गिफ्ट पैक जो शादी के कार्ड के साथ शादी के समय रिश्तेदारों को दिए जाते हैं ! वह भी हम बनाते हैं अब इस कार्य को हम पांचों भाई श्री ललित जी,श्री परमेश जी,श्री रमेश जी,श्री मुकेश जी,श्री छगन जी मिलकर आगे बढ़ा रहे हैं हमारा उद्देश्य है की आपको शुद्ध भगवान का प्रसाद मिले वह शादी विवाह में आपके काम की प्रशंसा हो एवं त्यौहार,उत्सव आदि पर आप अपने परिवार के लिए शुद्ध पोष्टिक अच्छी मिठाई खरीद सकें !

क्योंकि ग्राहक भगवान का रूप होता है और हमारा उद्देश्य भगवान की सेवा करना है धन्यवाद !